दिनांक 26 फरवरी 2024 से 29 फरवरी 2024 तक कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा चार दिवसीय मृदा परीक्षण प्रशिक्षण का आयोजन किया गया । यह कार्यक्रम डॉ. त्रिवेणी दत्त, निदेशक, आई.वी.आर. आई. की अध्यक्षता एवं डॉ. रूपसी तिवारी, संयुक्त निदेशक, प्रसार शिक्षा के मार्गदर्शन मे आयोजित किया गया। इस दौरान कृषि विज्ञान केंद्र के विषय विशेषज्ञ श्री आर एल सागर ने सभी प्रशिक्षुओं का स्वागत किया व आज के समय में मृदा स्वस्थ की अवश्यकता क्यों है इस पर प्रकाश डाला । डॉ रंजीत सींघ ने बागवानी फसलों के लिए मृदा नमूना निकालने की विधि बताई व उन्नत सब्जी व फल उत्पादन तकनीक बताई । इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में प्रशिक्षुओ को मृदा नमूना लेने की विधि, मृदा नमूना की रसायनिक जांच, व नमूना लेते समय क्या क्या सावधानियाँ को ध्यान रखना होता है इसकी जानकारी प्रदान की । मृदा जांच से होने वाले लाभ जैसे, मृदा उर्वरता के आधार पर मृदाओं का विभाजन , मृदाओं के जांच के आधार पर उरवर्को के प्रयोग, समस्याग्रसित मृदाओ का निदान या समस्याग्रसित होने वाली मृदायों के बचाव हेतु भिन्न विधियाँ अपनाने की जानकारी दी । इस कार्यक्रम में मृदा स्वस्थ प्रबंधन,एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन , जैविक खेती आदि की जानकारीयां प्रदान की गयी । मृदा जांच के आधार पर फसलों का चुनाव, उनकी विभिन्न प्रजातियाँ, पोषक तत्वो की संस्तुति, पोषक तत्वो को लगाने की विधि व सही समय इन सबसे जुड़ी जानकारी से साझा कराया गया । संतुलित उर्वरको के प्रयोग से होने वाले निवेशों पर खर्च कम हो सकता है एवं सही पोषक तत्व जिसकी कमी मृदा में है उनही पोषक तत्वो को प्रयोग कर ऊटपादन में वृद्धि की जा सकती है इस जानकारी से अवगत कराया । इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 4 युवा व 28 युवतियों ने सहभागिता की ।इस कार्यक्रम का संचालन श्रीमति वाणी यादव ने किया ।
कृषि विज्ञान केंद्र, बरेली द्वारा पीएम किसान फ्लैगशिप कार्यक्रम 2023 के तहत 15वीं किस्त जारी करने पर माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के भाषण का वेबकास्ट दिखाने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम का आयोजन आईसीएआर-आईवीआरआई के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त; डॉ. रूपसी तिवारी, जेडीईई (प्रसार शिक्षा) और डॉ. एच. आर. मीना, प्रमुख, प्रसार शिक्षा विभाग /प्रभारी केवीके के सहयोग और मार्गदर्शन से किया गया। कार्यक्रम में कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञ श्री. आर.एल. सागर ने किसानों का स्वागत किया और केवीके की गतिविधियों और किसान कल्याण के लिए विभिन्न सरकारी योजनाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने किसानों को वेबकास्ट देखने और माननीय प्रधान मंत्री को सुनने और देश के लिए काम करने के लिए प्रेरणा लेने की सलाह दी। वेबकास्ट में माननीय प्रधान मंत्री ने किसानों को संबोधित किया और बताया कि भारत सरकार ने प्रत्येक नागरिक को सरकारी योजनाओं का लाभार्थी बनाने की योजना बनाई है। इस संबंध में, भारत सरकार दिनांक 15 नवंबर 2023 से 26 जनवरी 2024 तक देश के प्रत्येक गांव तक पहुंचने हेतु "विकसित भारत संकल्प यात्रा" का आयोजन कर रही है। इस अवसर पर, माननीय प्रधान मंत्री ने यात्रा का उद्घाटन किया और 18000/- करोड़ रुपये से अधिक की 15वीं किस्त 8 करोड़ किसानों के लिए जारी की। इस कार्यक्रम के अलावा, केवीके द्वारा किसानों को 100 टमाटर के पौधे और 200 फूलगोभी के पौधे भी वितरित किए गए। कार्यक्रम में कुल 50 किसानों और विस्तार कार्यकर्ताओं (23 महिलाओं सहित) ने भाग लिया।
आज कृषि विज्ञान केंद्र, बरेली, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान द्वारा “बकरी पालन उद्यमिता विकास” पर दिनांक 25 सितम्बर से 20 अक्तूबर 2023 तक चल रहे इक्कीस दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन हुआ। यह कार्यक्रम संस्थान के निदेशक, डॉ. त्रिवेणी दत्त के निर्देशन एवम डॉ. रूपसी तिवारी, संयुक्त निदेशक (प्रसार शिक्षा) मार्गदर्शन मे किया गया। कार्यक्रम मे डॉ. हंस राम मीणा ने अपने सम्बोधन मे उदाहरण देकर बताया की किस प्रकार बकरी उद्यम युवाओं के लिए स्वरोजगार का साधन बना है और ग्रामीण महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण मे भी अहम भूमिका अदा कर रहा है। इस अवसर पर उन्होने प्रतिभागियों की प्रतिकृया प्राप्त कर प्रशिक्षण प्रमाण पत्र वितरित किए और आगे भी तकनीकी जानकारी हेतु कृषि विज्ञान केंद्र से जुड़े रहने की सलाह दी। इक्कीस दिवसीय कार्यक्रम के दौरान प्रतिभागियों ने बकरी की विभिन्न नस्लों, आवास प्रबंधन, प्रजनन प्रबंधन, वर्ष भर हारा चारा उत्पादन, पोषण प्रबंधन, पोषण से जुड़ी समस्याएं एवं निदान, मुख्य जीवाणु तथा विषाणु जनित रोगो का नियंत्रण, आंतरिक एवं बाह्य परजीवी नियंत्रण, बकरी मे प्रजनन की समस्या तथा निदान, बकरी फार्म का दैनिक प्रबंधन, माँस उत्पादन एवं प्रसंस्करण, बकरी सह मतस्य पालन तथा बकरी पालन से प्रोत्साहन हेतु सरकारी योजनाओ के बारे मे विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। कार्यक्रम मे कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों; भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के विभिन्न विभागो से वैज्ञानिकों; पशु चिकित्सा अधिकारी एवं नाबार्ड के अधिकारिगण ने व्याख्यान द्वारा जानकारी प्रदान की । कार्यक्रम मे कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा प्रतिभागियों को कृषि विज्ञान केंद्र के प्रदर्शन फार्म मे बकरी सह मतस्य इकाई पर बकरी मे आयु का निर्धारण, पहचान चिन्ह लगाना/टैगिंग, चारा उत्पादन, बधियाकरण, डिपिंग, टीकाकरण, खुर को काटने की विधि, स्वच्छ दुग्ध उत्पादन, वर्मीकम्पोस्ट, आदि से जुड़ी जरूरी व्यावहारिक जानकारी प्रदान की गई और भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के बकरी फार्म, दूध प्रसंस्करण इकाई, चारा उत्पादन फार्म, कृषि प्रौद्योगिकी सूचना केंद्र एवं पंतनगर कृषि मेले मे भ्रमण कर बकरी उद्यम मे नवाचार एवं उचित प्रबंधन के महत्व को समझाया गया। इस कार्यक्रम मे उत्तर प्रदेश के बरेली, पिलभित एवं रामपुर जनपद से कुल 20 प्रतिभागियों (18 पुरुष एवं 02 महिला) ने अपनी प्रतिभागिता दर्ज की। अध्यक्ष कृषि विज्ञान केंद्र
आज दिनांक 11 अक्टूबर 2023 में कृषि विज्ञान केंद्र, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान द्वारा पराली प्रबंधन चेतना यात्रा का आयोजन निदेशक महोदय डॉ त्रिवेनी दत्त एवं संयुक्त निदेशक प्रसार शिक्षा डॉ. रूपसी तिवारी के मार्गदर्शन मे किया गया । यात्रा का शुभारंभ हरी झंडी दिखाकर प्रातः 09 बजे भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, इज़्ज़तनगर, बरेली से विकासखण्ड शेरगढ़ के लिए प्रस्थान किया। यात्रा भोजीपुरा एवं शेरगढ़ विकासखण्ड के विभिन्न गांवों एवं विध्यालयों मे पराली प्रबंधन पर प्रचार प्रसार करते हुए अंतिम पड़ाव कार्यालय विकासखण्ड शेरगढ़ तक पहुंची। यात्रा मे कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों एवं 300 से अधिक किसानों, युवाओं, छात्र, छात्राओं एवं स्थानीय प्रतिनिधियों ने पोस्टर, बैनर एवं पंपलेट के माध्यम से पराली प्रबंधन पर लोगों को जागृत किया। कार्यक्रम के समापन अवसर पर, श्री फणी मणी, सी एम फ़ेलो; डॉ. कल्याण राय श्रीवास्तव, प्रधानाचार्य, युवा मण्डल जूनियर हाई स्कूल; प्रधानाचार्य , कंनहैया लाल लाल जूनियर स्कूल; सहायक कृषि विकास अधिकारी एवं डॉ एच आर मीना, अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र उपस्थित रहे एवं पराली प्रबंधन के संबंध मे अपने विचार व्यक्त किए । कार्यक्रम मे कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों द्वारा पराली प्रबंधन के विभिन्न उपाय एवं पराली जलाने से होने वाले दुष्प्रभावों एवं फसल अवशेषों को यथास्थान पर कृषि यंत्रों के माध्यम से भूमि मे मिलाने से होने वाले लाभकारी गुणों के बारे मे विस्तार से जानकारी प्रदान की गई।
कृषि विज्ञान केंद्र, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान द्वारा भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के 95वे स्थापना दिवस पर कृषि प्रौद्योगिकियों प्रदर्शन का आयोजन आज दिनांक १६ जुलाई २०२३ को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के 95 वे स्थापना दिवस के अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र, आई.वी.आरआई द्वारा किसान गोष्ठी एवं कृषि प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी का आयोजन किया गया । इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. बी. पी. सिंह ने अपने संबोधन मे कृषको को भारतीय कृषि में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् का अथक योगदान है इसके द्वारा कृषको के लिए कई कृषि तकनीक विकसित की हैं। जिनकों अपनाकर किसान अपने खेतो की उत्पादकता और आय को बढ़ा सकते हैं। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों ने किसानों के खेत में प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण हेतु फसल विज्ञान, बागवानी विज्ञान, पशु विज्ञान, मत्स्य विज्ञान और गृह विज्ञान के क्षेत्र में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों का प्रदर्शन किया। किसानों ने कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों के साथ बातचीत की और कृषि और कृषि से संबन्धित विभिन्न विषयो उपलब्ध नवीनतम तकनीकयों पर चर्चा की। कार्यक्रम में श्री. रंजीत सिंह ने सब्जी और फलों की फसल से संबंधित विभिन्न उत्पादन प्रौद्योगिकियों पर चर्चा की। श्री. आर.एल. सागर ने किसानों को मशीनीकरण के साथ-साथ अपशिष्ट डीकंपोजर के माध्यम से फसल अवशेष प्रबंधन के लिए उपलब्ध विभिन्न तकनीकों के बारे में सलाह दी। श्रीमती वाणी यादव ने बताया कि किसान प्राकृतिक खेती की तकनीक अपनाकर कृषि लागत में कमी लाकर अधिक आय प्राप्त कर सकते हैं। समापन सत्र में डॉ. बी.पी. सिंह ने किसानों को कृषि और कृषि से संबन्धित प्रौद्योगिकीयों पर नवीनतम जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र के विशेषज्ञों से परामर्श लेने का सुझाव दिया। कार्यक्रम में कृषको ने माननीय मंत्री कृषि एवं किसान कल्याण विभाग आदरणीय श्री नरेंद्र सिंह तोमर जी. का संबोधन भी सुना। इस कार्यक्रम में कुल 24 किसानों और कृषि विज्ञान केंद्र के कर्मचारियों ने प्रतिभागिता की।
आज दिनांक ५ जून २०२३ को कृषि विज्ञान केंद्र आई.वी.आर.आई. बरेली द्वारा “विश्व पर्यावरण दिवस” के अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्र के सभागार मे कृषको एवं कृषक महिलाओं हेतु जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम डॉ. रूपसी तिवारी, संयुक्त निदेशक (प्रसार शिक्षा) आईवीआरआई की अध्यक्षता मे हुआ। कार्यक्रम के आरंभ मे डॉ. बी. पी. सिंह, प्रधान वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र, बरेली ने सभी का स्वागत कर पर्यावरण दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला और बताया कि पर्यावरण मे प्रदूषण के दुष्प्रभाव से कैसे कृषि उत्पादन एवं पशु का स्वस्थ्य एवं उत्पादन प्रभावित हो रहा है और हम किस तरह अपने पर्यावरण को स्वस्थ एवं संरक्षित बना सकते हैं। कार्यक्रम मे आगे श्री आर एल सागर ने पर्यावरण का जीव जंतुओ एवं फसलों पर प्रभाव, जल संरक्षण व विभिन्न फसलों में सामयिक कार्यो के बारे में बताया। श्री रंजीत सिंह ने पर्यावरण संरक्षण के लिए बागवानी फसलों के उत्पादन एवं रखरखाव के बारे में बताया। श्रीमती वाणी यादव ने मृदा स्वास्थ्य के बारे में एवं प्राकृतिक एवं जैविक खेती का पर्यावरण से संबंध पर प्रकाश डाला। डॉ. शार्दूल विक्रम लाल ने पर्यावरण का पशुओं के स्वास्थ्य एवं उत्पादन पर प्रभाव पर चर्चा की। अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. रूपसी तिवारी ने सभी कृषको का आवाहन किया कि पर्यावरण के विभिन्न घटक जैसे जल, वायु, भूमि, जीव जन्तु आदि का संरक्षण करना है। आपने मेरी लाइफ कार्यक्रम के संबंध में कहा कि विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक सामान, मोबाइल, लैपटॉप, टीवी आदि से ही प्रदूषण हो रहा है। पृथ्वी पर जल की अत्यंत कमी है। सभी जीव जंतु व्याकुल हो रहे। सभी प्रकार के प्रदूषण को रोकने के लिए वृक्षो का रोपण करें। आपने महिलाओं के लिए कहा कि गांव में रहकर अनेक कृषि व्यावसायिक कार्य है उनको सीखकर रोजगार प्राप्त करे।कार्यक्रम के अंत में सभी कृषकों को विभिन्न प्रकार के वृक्षों के पौध वितरण एवं संस्थान परिसर में वृक्षारोपण का भी आयोजन किया गया। कार्यक्रम मे 81 कृषको ने, 63 महिला सहित , सहभागिता दर्ज की।
कृषि विज्ञान केन्द्र -भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान इज्जतनगर , बरेली द्वारा दिनांक २९ मार्च २०२३ को संस्थान निदेशक ने डा. त्रिवेणी दत्त जी के अध्यक्षता में वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक का आयोजन किया गया, उन्होंने कहा कि संस्थान द्वारा विकसित तकनीकों का प्रक्षेत्र में भी प्रदर्शन होगा । इसके साथ ही उन्होंने कहा की कृषकों को दिये जाने वाले परीक्षण एवं प्रदर्शन हेतु इनपुट्स का वितरण भी कृषकों के खेत एवं उनके गांवों में ही दिया जाये , जिसमे जनपद के लाइन डवलपमेंट का भी सहयोग लिया जायेगा । साथ ही नाबार्ड, एफपीओ तथा आत्मा परियोजना के सदस्यों को साथ लेकर किसानों की आय दुगनी करने, उनकी जीवीकोपार्जन की स्थिति सुधारने का कार्य भी निरंतरता से किया जायेगा। संस्थान के निदेशक डा. त्रिवेणी दत्त ने आगे बताया कि आईवीआरआई द्वारा प्रगतिशील किसान जो कृषि विज्ञान केन्द्र से प्रशिक्षण प्राप्त कर उधम स्थापित कर सफल हुये हैं , वे किसान अपनी प्रगति को जनपद के अन्य किसानों को प्रेरित करने के लिए प्रसार-प्रचार करेंगे ताकि जनपद के कृषकों की आय बढ़ायी जा सके। उन्होंने कहा कि इस वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक का लक्ष्य किसानों की खेती में सुधार लाना तथा किसानों को वैज्ञानिक कृषि की ओर प्रेरित करना है। कृषि विज्ञान केन्द्र के अध्यक्ष डा. बी.पी. सिंह ने समीक्षा बैठक एवं कृषि विज्ञान केन्द्र के उद्देश्यों के बारे में बताते हुए कहा कि इस समीक्षा का उदेश्य जनपद में कृषि विकास हेतु कृषि तकनीक आधारित विकास करना तथा कार्य योजना बनाना एवं प्रौद्योगिकी/उत्पादों का मूल्यांकन,उनका सुधार एवं प्रदर्शन करना तथा कृषको, युवओ एवं महिलाओ में क्षमता विकास करना है। इसके अतिरिक्त प्रसार कर्मियों का प्रशिक्षण एवं उनका कौशल विकास तथा विभिन्न सूचना तंत्रों के माध्यम से उन्नत कृषि प्रौद्योगिकी हेतु जागरूकता फैलाना तथा जनपद स्तर पर कृषि प्रौद्योगिकियों एक ससांधन केन्द्र के रूप में कार्य करना है। इस अवसर पर उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा किये गये कार्यों का ब्यौरा रखा तथा आने वाले वर्ष की कार्य योजना एवं लक्ष्यों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केन्द्र आगामी वर्ष में किसानों एवं पशुपालकों के लिए फसल उत्पादन, एकीकृत फसल प्रबन्धन, मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता प्रबन्धन, उत्पादन एवं प्रबन्धन तकनीकें, प्रसंस्करण एवं मूल्य सम्बर्न्धन, एकीकृत पोषक तत्व प्रबन्धन, पशुधन उत्पादन एवं प्रबन्धन, डेयरी प्रबन्धन, सूकर प्रबन्धन, पशु बीमारी प्रबन्धन, आहार प्रबन्धन, गृह विज्ञान/ महिला सशक्तिकरण, मत्स्य पालन, सब्जियों की संरक्षित खेती, भेड़ एवं बकरी पालन, मशरूम उत्पादन, बागवानी फसलों में नर्सरी व्यवसाय, प्राकृतिक खेती , मिलेट्स / श्रीअन्न को लोकप्रिय करने के लिए पर प्रशिक्षण एवं अन्य कार्यक्रम आयोजित करेगा। वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक में सलाहकार समिति के सदस्यों जिसमे जिला कृषि अधिकारी श्री धीरेन्द्र कुमार चौधरी, जिला उद्यान अधिकारी श्री पुनीत पाठक, सहायक निदेशक मत्स्य पालन, नाबार्ड मेनेजर श्री धेर्में द्र कुमार मिश्र, लीड डिस्ट्रिक्ट मेनेजर के. सुषमा, सहायक निदेशक मृदा परीक्षण, कृषि विज्ञान केंद्र रामपुर के अध्यक्ष डॉ फैज़ मोहसिन, संस्थान के संयुक निदेशक डॉ संजय सिंह , डॉ के. पी. सिंह, विभाग अध्यक्ष, इफ्फ्को, कृभको एवं राष्ट्रिय बीज निगम के अधिकारियो तथा जनपद के कृषक महिलाओ एवं कृषकों ने भी कृषि विज्ञानं केंद्र की वैज्ञानिक सलाहकार समिति की बैठक में सहभागिता दर्ज कर कार्य योजना में अपना योगदान दिया ।
कृषि विज्ञान केंद्र - भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान इज्जतनगरबरेली द्वारा पांच दिवसीय फसल अवशेष प्रबंधन प्रशिक्षणकार्यक्रमका आयोजन किया गयाहै। इस प्रशिक्षण में बरेली जिले के विभिन्न विकास खंडोंसे 25 किसानों ने भाग लिया, इस दौरान उन्हें फसल अवशेषों को जलाने से भूमि,पोषक तत्वों,पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुषप्रभाव के बारे में जानकारी प्रदान की गईइसके पश्चात इन अवशेषों को यदि हम अपनीभूमि में यथा स्थान परइन्हें वेस्ट डी कंपोजर द्वारा कम समय में सड़ा कर एवं उपयुक्त कृषि यंत्रों की सहायता से इन अवशेषों को यदि भूमि में मिलाया जाता है तोहमारी की भूमि की संरचना में सुधार केसाथ साथ एवंउसकी उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में किस प्रकार सहायक होते है के वारे विस्तारसे जानकारी दी गई।इसकेअलावा हम इन अवशेषों कोविभिन्नउपयोगोमेंजैसेपशुओं के लिए शुष्क चारे के रूप में, कंपोस्ट खाद बनाने, मशरूम उत्पादन,बिजली संयंत्रकेईंधन, पेपर व गत्तातथा बायोएथेनॉलउत्पादन हेतु उद्योगों को आपूर्ति कर सकते हैं जिससे यह एक अतिरिक्त आय का साधन भी बन सकता है।कृषिफार्म प्रक्षेत्रमें कृषियंत्रों जैसे आर एम बी प्लाऊपरप्रशिक्षार्थियोंको प्रायोगिक प्रदर्शन भी दिया गया।प्रशिक्षण के दौरानसभी प्रशिक्षार्थियो को जी बी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में आयोजित किसान मेले मे विभिन्न फर्मों द्वारा लगाए गए कृषि यंत्रों की स्टालों का भ्रमण करा कर जानकारी प्रदान की गई।
कृषि विज्ञान केंद्र - भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान इज्जतनगरबरेली द्वारा पांच दिवसीय फसल अवशेष प्रबंधन प्रशिक्षणकार्यक्रमका आयोजन किया गयाहै। इस प्रशिक्षण में बरेली जिले के विभिन्न विकास खंडोंसे 25 किसानों ने भाग लिया, इस दौरान उन्हें फसल अवशेषों को जलाने से भूमि,पोषक तत्वों,पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले दुषप्रभाव के बारे में जानकारी प्रदान की गईइसके पश्चात इन अवशेषों को यदि हम अपनीभूमि में यथा स्थान परइन्हें वेस्ट डी कंपोजर द्वारा कम समय में सड़ा कर एवं उपयुक्त कृषि यंत्रों की सहायता से इन अवशेषों को यदि भूमि में मिलाया जाता है तोहमारी की भूमि की संरचना में सुधार केसाथ साथ एवंउसकी उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में किस प्रकार सहायक होते है के वारे विस्तारसे जानकारी दी गई।इसकेअलावा हम इन अवशेषों कोविभिन्नउपयोगोमेंजैसेपशुओं के लिए शुष्क चारे के रूप में, कंपोस्ट खाद बनाने, मशरूम उत्पादन,बिजली संयंत्रकेईंधन, पेपर व गत्तातथा बायोएथेनॉलउत्पादन हेतु उद्योगों को आपूर्ति कर सकते हैं जिससे यह एक अतिरिक्त आय का साधन भी बन सकता है।कृषिफार्म प्रक्षेत्रमें कृषियंत्रों जैसे आर एम बी प्लाऊपरप्रशिक्षार्थियोंको प्रायोगिक प्रदर्शन भी दिया गया।प्रशिक्षण के दौरानसभी प्रशिक्षार्थियो को जी बी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में आयोजित किसान मेले मे विभिन्न फर्मों द्वारा लगाए गए कृषि यंत्रों की स्टालों का भ्रमण करा कर जानकारी प्रदान की गई।
कृषि विज्ञान केंद्र - भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान , इज़तनगर बरेली में 21-12-2022 से 22-12-2022 तक दो दिवसीय प्राकृतिक खेती प्रशिक्षण का आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम में प्राकृतिक खेती के महत्त्व को उजागर करने हेतु प्रशिक्षुओ को सर्वप्रथम परिचय स्वरूप में आचार्य विनय सक्सेना जी ने प्राकृतिक खेती की आवश्यकता व उसके सिद्धान्त पर विस्तार से चर्चा की । आचार्य जी ने पुराने समय में पूर्वजो की खेती करने की पद्धिती की विशेषताओ जैसे अंतरफसल, देशी गाय की गोबर खाद का प्रयोग आदि विषयो का विवरण किया और सभी कृषको को इसको अभ्यास में लाने के लिए प्रेरित किया । कृषि विज्ञान केंद्र, अध्यक्ष डॉ बी.पी.सिंह ने सभी कृषको को प्राकृतिक खेती को अपना कर अपनी लागत को कम करने का आग्रह किया , साथ ही स्वस्थ व स्वच्छ खाद्य स्वयं खाये व सभी उपभोक्तायों को प्रदान करने के लिए अपने विचार रखे । श्री राकेश पांडे, वस्तु विषय विशेषज्ञ एवं मास्टर ट्रेनर ने कृषको को प्राकृतिक खेती में प्रयोग होने वाले विभिन्न उत्पाद जैसे जीवामृत, बीजामृत, घनजीवामृत, निमास्त्र, दशपर्णी अर्क इत्यादि बनाने की विधियाँ कृषको से साझा की। इन उत्पादो को फसलों, सब्जियों व फलो में कितनी दर से कितने दिनों के अंतराल पर कैसे प्रयोग करे इसकी जानकारी दी । श्रीमती वाणी यादव, वरि.तक.सहा (मृदा विज्ञान) ने कृषको को इस पद्धिती से मृदा स्वास्थ पर होने वाले विभिन्न लाभो की जानकारी दी जिसमे मृदा के सूक्ष्म जीव, मृदा की भौतिकी पर विभिन्न प्रभावों की जानकारी दी । अत्यधिक रसायनिक उर्वरको से होने वाले दुष्प्रभावो जैसे, मृदा उर्वरता में गिरावट, जैविक कार्बन में कमी, ग्लोबल वार्मिंग व ग्रीन हाउस गैस, रसायनिक खेती में अधिक निवेश जैसी समस्याओं पर चर्चा की । प्राकृतिक खेती इन सभी समस्याओं के लिए है इस पर विचार रखे और तथ्यो को समझाया । श्री राकेश पांडे, श्रीमती वाणी यादव व डॉ अमित पिप्पल के मार्गदर्शन में प्रयोगत्मिक सत्र में प्रशिक्षुओ ने देसी गाय के गोमूत्र, गोबर, गुड, बेसन एक मुट्ठी पुराने वृक्ष की नम मिट्टी से जीवामृत व घनजीवमृत बनाया । दशपर्णी अर्क बनाने के लिए अरंड, बेशरम, अकौआ, बेल, आम, अमरूद, नीम, कनेर, आक, तंबाकू के पत्तों को पीस कर सोठ, हींग, मिर्च, अदरक, लहसुन, हल्दी को गोमूत्र में मिलाकर लकड़ी के डंडे से सुई की दिशा में घुमाकर घोल तैयार किया । इस कार्यक्रम में बरेली जनपद के 30 युवा कृषकों ने सहभागिता दर्ज की ।
कृषि विभाग बरेली एवं कृषि विज्ञान केंद्र आईवीआरआई के सहयोग से आज दिनांक 30.11. 2022 में रवी फसलों पर विकासखंड स्तरीय किसान संगोष्ठी का आयोजन ब्लाक दमखोदा, बहेड़ी मे किया गया इस अवसर पर कृषि विभाग के श्री संजय सिंह एसडीओ बहेड़ी ,तकनीकी कर्मचारी एवं कृषि विज्ञान केंद्र-आईवीआरआई के श्री आर.एल.सागर विषय विशेषज्ञ (फ़सल विज्ञान) एवं श्री डीडी शर्मा ने वैज्ञानिक तरीके से रवि फैसलों जैसे गेहूं, मशहूर एवं सरसों की खेती करने के बारे में बताया इसके अलावा फसल अवशेष प्रबंधन एवं गौ आधारित प्राकृतिक खेती पर भी जागरूक किया गया। इस रवी किसान संगोष्ठी में 93 किसानों ने भाग लिया जिसमें ३ महिला किसान भी सम्मिलित थी। इस अवसर पर अतिथि के रूप में श्री राकेश कुमार जिला पंचायत सदस्य मौजूद रहे।
आज दिनांक 04.11.2022 को कृषि विज्ञान केंद्र, भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान द्वारा भारत सरकार की परियोजना फसल अवशेष प्रबंधन के अंतर्गत धान की पराली प्रबंधन विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यक्रम मे कृषि विज्ञान केंद्र के प्रभारी डॉ बी पी सिंह ने सभी कृषको का स्वागत किया और कृषको से निवेदन किया की पराली को खेत पर न जलाए उसको भूमि मे ही दबाकर मृदा की उर्वरकता को बढ़ाए। इस अवसर पर कृषको ने ऑनलाइन माध्यम से माननीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर के संबोधन को भी सुना। माननीय मंत्री जी ने कृषको को पराली प्रबंधन हेतु सरकार द्वारा चलाई जा रही योजना के बारे मे अवगत कराया। आगे कार्यक्रम मे कृषि विज्ञान के विशषज्ञ श्री आर एल सागर जी ने पूसा बीओडेकोंपोस्टर का उपयोग कर पराली को भूमि मे ही सड़ाने की सलाह दी। श्री राकेश पांडे जी ने पराली प्रबंधन से जुड़े यंत्रो के बारे मे बतया और पराली प्रबंधन पर कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा चलाये जा रहे कार्यक्रम मे कृषको से साथ अपने अनुभव को साझा किया। कार्यक्रम मे बरेली जनपद पाँच विकाशखंड (भोजीपुरा, भुता, बहेड़ी, बिथरीचैनपुर और नवाबगंज) से 152 कृषको (69 महिला कृषको) ने सहभागिता की।
दिनांक 02.11. 2022 में कृषि विज्ञान केंद्र भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान इज्जत नगर द्वारा एन एम ओ ओ पी ( NMOOP)तथा एन एफ एस एम ( NFSM)के अंतर्गत दलहनी व तिलहनी फसलों के अग्र पंक्ति प्रदर्शन हेतु किसानों को प्रशिक्षण दिया गया जिसमें नवाबगंज विकासखंड के ग्राम पनुआ के 46 कृषकों ने दलहन व 23 कृषको ने तिलहन पर प्रशिक्षण दिया गया इस अवसर पर , श्री आर.सागर विषय विशेषज्ञ (शस्य विज्ञान ) ने विभिन्न उन्नतशील प्रजातियों, खाद एवं उर्वरक ,बीज उपचार , कीट एवं बीमारियों के प्रबंधन आदि तथा मृदा जांच के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। इस अवसर पर सभी किसानों को प्रदर्शन हेतु दलहनी (मसूर) व तिलहनी (सरसो )फसलों के उन्नत प्रजातियों के बीज भी प्रदान किए गए।इस कार्यक्रम के में श्री दुर्गा दत्त शर्मा द्वारा जल शक्ति अभियान के अंतर्गत भी व्याख्यान दिया गया ।
आज दिनाँक 20-10-2022 को कृषि विज्ञान केंद्र भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, बरेली द्वारा ग्राम स्तरीय फसल अवशेष प्रबंधन गोष्ठी का आयोजन ग्राम मऊचन्दपुर, ब्लाक रामनगर में आयोजन किया गया । इस कार्यक्रम में कृषको को पराली जलाने पर होने वाले दुष्परिणामों की जानकारी दी गयी एवं पराली प्रबंधन से होने वाले लाभों पर चर्चा की गयी । इस अवसर पर श्री आर.एल.सागर, मुख्य तकनीकी अधिकारी ने फसल अवशेषो को यंत्रो व डिकम्पोसर द्वारा खेत में समावेश कर जैविक कार्बन की मात्रा बढ़ाने की जानकारी साझा की । श्रीमती वाणी यादव वरिष्ठ तकनीकी सहायक ने फसल अवशेष प्रबंधन का मृदा स्वास्थ पर प्रभाव विस्तार से बताए। इसी के साथ श्री डी.डी.शर्मा सहायक मुख्य तकनीकी अधिकारी ने कृषको को बरसात के बाद होने वाले घर के आस पास जलभराव से होने वाली बीमारियों से बचने हेतु सावधानियाँ बताई जिसमे स्वच्छता का विशेष महत्त्व उजागर किया । अंत में कृषको को श्री वीर सिंह सहायक मुख्य तकनीकी अधिकारी द्वारा कृषको को पशुधन के उत्तम स्वास्थ प्रबंधन, आहार प्रबंधन आदि से संबन्धित जनकरी प्रदान की । इस कार्यक्रम में 65 कृषको ने सहभागिता की जिसमे 25 महिलाए उपस्थित रही ।